रामायण पर encyclopaedia बनाने में 50,000 हजार शोधार्थी जुटे

लखनऊ। रामायण पर encyclopaedia की तैयारी अब जोर पकड़ने लगी है। उत्तर प्रदेश के संस्कृति विभाग की पहल पर अयोध्या शोध संस्थान की अगुवाई में encyclopaedia बनाने की रूपरेखा अब विस्तार लेने लगी है। इस encyclopaedia को तैयार करने में देश-विदेश के करीब 50 हजार विद्वान, रामायण मर्मज्ञ, संस्कृति कर्मी और साहित्यकारों का बतौर शोधकर्ता योगदान लिया जाएगा।


अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डा.वाई.पी.सिंह ने ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में बताया कि रामायण पर विश्वकोश का प्रत्येक खण्ड 1100 पृष्ठों का होगा। अंग्रेजी भाषा के अलावा विदेशी भाषाओं रूसी, जर्मन, फ्रेंच आदि में भी इसके संस्करण प्रकाशित होंगे। इनके अलावा अन्य भारतीय भाषाओं में भी यह विश्वकोष उपलब्ध होगा। इसका डिजिटल संस्करण भी प्रकाशित किया जाएगा। उनका दावा है कि भारतीय संस्कृति से जुड़े किसी महाकाव्य पर अपनी तरह का यह पहला विश्वकोश होगा।


उन्होंने बताया कि यूरोप व अमेरिका के अलावा अफ्रीका खाड़ी के देशों में भी भारतीय वैदिक परम्परा के तमाम ऐतिहासिक साक्ष्य मिलते हैं, जिनमें बोत्सनिया-हर्जेगोविना के बीच रामे नदी, बुल्गारिया में चट्टानों पर उकेरे गए स्वस्तिक व अन्य चिन्ह हाल ही में चर्चा में आए हैं।


अन्तर्राष्ट्रीय वेबिनार की अगली कड़ी में अब मंगलवार 12 मई को रामायण केन्द्र भोपाल से ‘रामायण की लोक संस्कृति का आधुनिक परिदृश्य’ विषय पर वेबिनार होगा। भारतीय समय के अनुसार दोपहर एक बजे इस वेबिनार की शुरुआत होगी। परिचर्चा के बाद अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डा.वाई.पी.सिंह प्रश्नों के उत्तर भी देंगे।


Dharm Desk: Legend News


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