दक्षिण चीन सागर बना तनाव का केंद्र, जंग के लिए बड़ी तैयारी कर रहा है अमेरिका

वॉशिंगटन। विश्‍व की दो सुपरपावर अमेरिका और चीन के बीच दक्षिण चीन सागर को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है।
इस तनाव के बीच चीन जहां नए-नए हथियारों का परीक्षण और युद्धाभ्‍यास कर रहा है, वहीं अमेरिका ने भी कमर कस ली है। अमेरिका नई मिसाइलों का जखीरा बना रहा है जो चीन के साथ जंग में मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम होंगी।
कोरोना वायरस, साउथ चाइना सी, जापान और ताइवान को लेकर चीन के साथ लगातार बढ़ते विवाद के बीच अमेरिका ने पीएलए के साथ जंग की तैयारी तेज कर दी है। अमेरिका न केवल युद्ध के ल‍िए सटीक रणनीति बना रहा है, बल्कि अपने हथियारों के जखीरे को बढ़ा रहा है। इसी कड़ी में अमेरिका खाड़ी युद्ध से लेकर अफगानिस्‍तान तक की जंग में सफलतापूर्वक इस्‍तेमाल कर चुके अपने ‘ब्रह्मास्‍त्र’ टॉमहॉक क्रूज मिसाइल की धार को और तेज कर रहा है।
दक्षिण चीन सागर बना तनाव का केंद्र
समाचार एजेंसी रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की दो महाशक्तियों अमेरिका और चीन के बीच प्रशांत महासागर तनाव का केंद्र बन गया है। चीन जहां बहुत तेजी से अपने हथियारों के ज‍खीरे को और ज्‍यादा बढ़ा रहा है, वहीं दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति अमेरिका ने भी बीजिंग के साथ किसी भी जंग के लिए कम कस ली है। अमेरिका अपनी सफलतम मिसाइलों में से एक टॉमहॉक क्रूज मिसाइल का नया संस्‍करण बना रहा है।
टॉमहॉक क्रूज मिसाइल से लैस होंगे मरीन
अ‍मेरिका अपने मरीन सैनिकों को भी टॉमहॉक मिसाइल से लैस करने जा रहा है। यही नहीं ट्रंप प्रशासन अब एशिया प्रशांत क्षेत्र में लंबी दूरी के और जमीन से लॉन्‍च किए जाने वाले क्रूज मिसाइलों को तैनात करने की योजना बना रहा है। यही अमेरिका ने कई दशक के बाद लंबी दूरी के एंटी शिप मिसाइल को बनाने पर काम तेज कर दिया है। अमेरिका के इस कदम के बाद अब चीन ने कहा कि अमेरिका धौंस दिखाना बंद करे।
जानें, चीन पर क्‍या है अमेरिकी सेना की रणनीति
अमेरिका के सैन्‍य कमांडरों ने पिछले दिनों कांग्रेस को बताया है कि टॉमहॉक क्रूज मिसाइलों लैस मरीन सैनिक पश्चिमी प्रशांत महासागर पर नियंत्रण करने में अमेरिकी नौसेना की मदद करेंगे। मरीन कोर के कमांडेंट जनरल डेविड बर्गर ने कहा, ‘टॉमहॉक क्रूज मिसाइल हमें इस काम को अंजाम देने में मदद करेगी।’ टॉमहॉक क्रूज मिसाइल ने सबसे पहले वर्ष 1991 में खाड़ी युद्ध के दौरान लोकप्रियता हासिल की थी। टॉमहॉक से लैस अमेरिकी युद्धपोतों ने दुश्‍मन के ठिकानों पर जमकर तबाही मचाई थी। यूएस मरीन के लिए नई मिसाइल वर्ष 2022 तक बनक तैयार हो जाएगी।
चीन को सख्‍त संदेश है अमेरिकी मिसाइल
अमेरिकी सैन्‍य रणनीतिकारों का मानना है कि लैंड बेस्‍ड क्रूज मिसाइल की कम संख्‍या से शक्ति का संतुलन तो नहीं बदलेगा लेकिन अमेरिका इसके जरिए चीन को कड़ा संदेश देगा। उनका कहना है कि जापान और ताइवान के इसी तरह के हथियारों की मदद से चीन की सेना को गंभीर खतरा उत्‍पन्‍न हो जाएगा। उन्‍होंने कहा कि चीन को सबसे बड़ा और ताजा खतरा अमेरिका की एंटी शिप मिसाइलें हैं जो यूएस नेवी और यूएस एयरफोर्स में शामिल होने जा रही हैं।
चीनी सेना ने अमेरिका को दी थी चेतावनी
पिछले साल अक्‍टूबर महीने में चीन की सेना के प्रवक्‍ता वू किआन ने चेतावनी दी थी कि अमेरिका ने लैंड बेस्‍ड और लंबी दूरी की मिसाइलों को तैनात किया तो चीन हाथ पर हाथ रखकर बैठा नहीं रहेगा। चीन के विदेश मंत्रालय ने आरोप लगाया था कि अमेरिका शीत युद्ध की मानसिकता से व्‍यवहार कर रहा है और क्षेत्र में लगातार सेना को बढ़ा रहा है। दरसअल, अमेरिकी सेना एक नई लंबी दूरी की मिसाइल का परीक्षण कर रही है जो चीन के युद्धपोतों को निशाना बना सकती है। इसी वजह से चीन बहुत परेशान है।
-एजेंसियां


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